दीवाली की सीख
सम्मानित मंच नमन।
शीर्षक -
*दीवाली की सीख*
विधा- विधाता छंद।
सजा दो दीपमाला से,
अमावस की निशा कहती।
मिटे तम विश्व का सारा,
रहे यह लौ सदा जलती।
नहीं यह चंद्र या दिनकर,
धरा विश्वास से कहती।
दिवाली निशि-तिमिर हरते,
जहां से, दीनता हटती।
सीख देते यही दीपक,
दिवाली जो 'सुमन' कहती।
दीप बन तुम जलो जनहित,
दंभ की फिर कहाँ गिनती।
सदा परहित बसे मन में,
रमा, छोड़े नहीं धरती।
सुन ध्वनि भी पटाखों की,
अरे भाई! यही कहती।
सुहानी फुलझड़ी का भी,
सच सुन लो यही कहना।
कभी सूरज नहीं त्यागे,
रोशनी झोपड़ी भरना।
बनो तुम भी वही सूरज,
गरीबों का तमस हरना।
नहीं तुम देशहित भूलो,
गले मिलकर सदा रहना।
सादर समीक्षार्थ।
हरिहर 'सुमन'
कॉपी पेस्ट सुनीता गुप्ता कानपुर
आँचल सोनी 'हिया'
22-Oct-2022 07:18 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Teena yadav
22-Oct-2022 07:10 PM
Amazing
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Gunjan Kamal
22-Oct-2022 12:53 AM
बहुत ही सुन्दर
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